हे मेरी बे-गुनाह गाय ! तेरी पुकार तो सिर्फ भगवान ही सुन सकता है। गौ-सचमुच ही कामधेनु है जिसने विषेषकर भारत को दिया ही दिया है, लिया कुछ नहीं । मनुष्य को जन्म देने वाली माताओं की अपने बच्चों को दूध पिलाने की एक सीमा है, परन्तु गाय तो मानव को उम्र भर दूध पिलाती है और खेती की दिषा में भी सर्वजनहिताय भरण-पोषण का आधार बनती आई है, इसलिए भारत में उसे माता का स्थान प्राप्त है, लेकिन उसके साथ माता जैसा व्यवहार नहीं है। व ह काफी दुःखी है और खेद है कि उसको सेवा की तुलना में आवष्यक व्यवस्था और सम्मान नहीं दिया जाता ।