श्री श्रीभादरियाजी महाराज

नाम संत हरवंश सिंह निर्मल परंतु श्री भादरियाजी महाराज नाम से प्रख्यात। जन्म: ई. स. 1930, देहत्याग ई. स.15 फरवरी 2010. विद्या वाचस्पति अलंकार से विभूषित, परंतु अभी भी विद्यार्थी जीवन। निर्मल धारा से दीक्षित सन्यासी। राष्ट्रीय विचारधारा के पथिक परंतु, मानवता के भी सच्चे उपासक। भारतीय परंपरा के पथिक और प्रेरणास्त्रोत-आचार्य चाणक्य। जीवन के पूर्ण सदुपयोग में विश्वास रखने वाले राहगीर। आध्यात्मिक अन्वेषक है, परंतु मानव-मानव के बीच के मतभेदों की दूरियों को कम करने, मानव जाति में फैली हुई आपसी भ्रांतियों को मिटाने, बुराई से भलाई की दिशा में मानव-समुदाय का हृदय परिवर्तन और मानवीय भाईचारे आदि बिंदुओं के चिंतक तथा उदारवादी विचारों के पथिक हैं।

 

लेखक इस विश्वास के हैं कि इस दुनिया में मूलतः कोई भी बुरा नहीं है, मानव की सोच अथवा चिंतन जब गलत दिशा लेते हैं तब उसके अगले कदम आज नहीं तो कल या कालांतर में उसी दिशा में उठते हैं, अगर मानव की सोच को निकृष्ट दिशा से उत्कृष्ट दिशा में बदल दिया जावे तो सब भले हैं। गलत कदम और बुराई मानव की भूल-चुके हैं जिनमें सुधार संभव है। आज हम जितने बुरे हैं कल उतने ही अच्छे भी बन सकते हैं। घृणा से किसी का भी सुधार संभव नहीं है, सहदयता से ही विचारों में परिवर्तन संभव है। मानव-कल्याण के लिए वांछित दिशा में व्यापक और सक्षम प्रयास के कदम उठाने की अपने ढंग से युद्धस्तर पर तैयारी की जा रही है।

 

लेखक किसी की कटु आलोचना करने और बिना मतलब किसी की कमजोरियां देखने के स्वभाव के नहीं है, सर्वत्र गुण-ग्रहण करने का दृष्टिकोण रखते हैं। विद्वानों , मानव कल्याण की दिशा के शुभचिंतकों एवं भले लोगों के प्रति आदरभाव और सहयोग की प्रवृत्ति रखते हैं। अन्यायग्रस्त और पीड़ितों की सहानुभूति में ह्रदय राहत के अंतिम छोर तक सफर करने का आदी है और दूसरों के भले के लिए वेदना सहने वालों के वास्ते आंखें आंसू टपकाने के स्वभाव की है। मानव के खाली क्षणों को श्रेष्ठतम चिंतन-मनन का अवसर देने के लिए वह जेब में रखने के नाम की ज्ञान के साथ भाग के रूप में 10 पुस्तकें प्रकाशित की गई थी जिनको सब वर्गों ने पसंद किया और उनमें कोई भी एक सब तरह के लोगों की जेबों में साधारणतया देखी जा सकती थी।

 

लेखक का साहित्य-सर्जन हस्तलिखित दस्तावेज के रूप में सुरक्षित है जो प्रकाशित होने के बाद प्रस्तुत ग्रंथ के नाम से में सुनहरी और पक्की जिलों में औसत चार-चार सौ पृष्ठों के भागों में अगले 2 वर्षों में 21 खंडों में सर्वत्र उपलब्ध हो सकता है। लेखक आपसी झगड़ों और युद्धों के विरोधी हैं और विश्व-शांति के पक्षपाती हैं। वर्तमान हालात में प्रत्येक विवाद और समस्याओं को आपसी बातचीत से सुलझाने में विश्वास करते हैं, चाहे समस्या एक दफा की बातचीत से सुलझे या अनेक दफा की। सद्भावनापूर्ण किए गए प्रयत्न कभी निष्फल नहीं होते, की प्रक्रिया में विश्वास रखते हैं।

 

लेखक संपूर्ण धरती को भाईचारे की भावना से ओतप्रोत स्वर्ग में देखने के इछुक हैं जिसमें किसी भी प्रकार की अशांति और अभाव दिखाई न देते हो। वांछित दिशा में धरती के वातावरण के बदलाव के लिए कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई जा रही है। लेखक का विश्वास है कि मानव-जाति के वह भाग्यशाली दिन अवश्य देखने को मिलेंगे।